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Saturday, August 21, 2010

अब सीखना हँ तुझे किस्मे है कितनी नमी

मिलेंगे काटे ही काटे अगर तेरी मंजिल अलग हुई,
रोके लोग तुझे उस राह पे चलने से कहके ऐसी क्या ज़रूरत पड़ी,


खीचेंगे लोग तुझे पीछे आखिर तू ही क्यूँ आगे बड़े,
नहीं माना तोह शायद तेरे कुछ ख़ास ही लड़ पड़े,


पर सोचना मत तू अंजाम का क्या पड़ेगा असर,
मुश्किलें चाहे जितनी  पर तू बदल ना अपनी डगर,


तूफ़ान से घबराना नहीं,न तू कर अपनी फिकर
जब पालेगा अपना निशान तब होगा सिर्फ तेरा ही ज़िक्र,


आजमां ले तू ज़िन्दगी पाने में तू हर ख़ुशी,
न कर बहारो की फिकर ए मंजिल के नशी,


बस चला चल तू अपनी राहों पे और रुकना नहीं,
दुनिया तुझे देख कर कहेगी,पाया तुने ऐसा जाबाज़ कही.






-Kshitij Chitranshi

2 comments:

  1. good one Kshitij...........

    remove the word verification requirement from your blog for posting comments, will make commenting easier............

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  2. thnx a lot abhishek.........well it is there to avoid spam.......

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